सुनीता कहती है की बस तुम ठीक हो जाओ बाद मे मैं इन दोनो को देख लुंगी रूपा को मैंने ही पनाह दी थी आज वो मेरे ही पति को मुझसे छीन रही है
ये सिलसिला 6 महीनों से चल रहा है कुछ बोलो तो तुम्हारे पापा को बहुत बुरा लगता है अब हम लोग पराये और वो अपनी हो गई है
लेकिन माँ मुझे वो दोनो गलत नहीं लगते कोई मजबूरी होगी उनकी
क्या मजबूरी, रूपा जवानी पर है और मैं वो सुख तुम्हारे पापा को नहीं दे पाती, दोनो एक दूसरे की कमी को पूरा कर रहे हैं
खैर तुम जल्दी से ठीक हो जाओ फिर मैं देखती हूँ की ये सब आगे कितना चलेगा अपने बच्चो के सुख के लिए मां सबकुछ सहन करती है क्रमशः