द्वेष से जीवन दूषित हो सकता है

मैंने देखा है कि कुछ लोग जीवन मे बहुत परेशान करते हैं और हमारी उन्नति मे बाधा उत्पन्न करते हैं लेकिन हम इतने बेबस होते हैं कि सहते हुए उनके साथ रहते हैं

अन्दर से तो प्रतिशोध होना स्वाभाविक ही होता है लेकिन जब हमे प्रतिशोध होता है तब हम अपने कुछ विशेष कार्यो को भूलने लगते हैं किसी काम मे मन नहीं लगता और कभी कभी हम भी उन लोगों का बुरा सोंचने लगते है

जेसे की एक मेरी सहेली थी उसकी सास उसे बहुत तंग करती थी

खासकर हर वस्तु मे अपना ही अधिकार

पति को भी उसने अपने काबु मे कर लिया और वो जो भी कहती पति उन्हीं की बात सुनते और अक्सर मेरी सहेली के साथ मारपीट और गाली गलौज भी करते हम सब एक ही कॉलेज मे पढ़ती थी

वो अपनी सहेलियों से अपने मन की बात कहती थी

मेरी एक सहेली थी उसने कहा कि तुम अपनी सास से द्वेष मत करो

तुम्हारा मायके तो नजदीक है तुम एक बैंक मे खाता खोल लो और उसमे कुछ पैसे जमा करो

पति से साफ़ साफ़ बात करो की मुझे भी पैसे चाहिए

कुछ काम अपनी सास से भी करने को कहो

अपनी चीजे संभाल कर रखो

अपनी सास से बहस मत करो

वो गाली देती है देने दो

अपने कमरे मे रहो अपने जेवर लाकर मे रखो अपने पैसे सुरक्षित रखो कोई भी लापरवाही मत करो

अपनी पढ़ाई मन से करो

पति बाहर रहे तो सास से बहस मत करो

अगर फिर भी बात ना बने तो छोड़ कर चली जाओ सबकुछ अपने मायके

मेरी सहेली ने अपना ससुराल ही छोड़ दिया आपने मायके चली आई

अब घर मे खाने पीने की दिक्कत हो गई काम तो सारा वहीँ करती थी

और उसने ससुराल की बातों को याद करके रोना छोड़ दिया पढ़ाई की और अच्छे नंबरों से पास हुई

और उसने छोटे छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया

पहले तो कुछ दिन पति अपनी माँ की बात मानकर उसे लेने नहीं गया लेकिन एक दिन उसे लगा कि पत्नी के बिना अच्छा नहीं लगता

एक साल के बाद वो मेरी सहेली को लेकर अपने घर गया

सास भी ठीक हो चुकी थी सहेली ने बैंक मे अपने लिए कुछ पैसे भी जोड़ लिए

घर आकर उसका पति जब मेरी सहेली को अपनी माँ से अपनी कमाई छीन कर देने लगा तो मेरी सहेली ने कहा। माँ की आत्मा दुखी करके हम लोग कभी सुखी नहीं हो सकते आप माँ के पास पैसा रहने दो वो घर चलाती है मुझे अभी कुछ ज्ञान नहीं है और उसने अपनी सास की गोद में सारे पैसे रख दिए

आप देखो उसने अपनी सास से द्वेष नहीं किया और कुछ दिनों के बाद माँ के आशीर्वाद से उसके एक प्यारी सी बेटी हुई सास उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करने लगी

उसे अपनी ससुराल मे सबका प्यार और विश्वास मिला

तो मैं ये कहना चाहती कि द्वेष करके हम आगे नहीं बढ़ सकते और ना ही शांति पूर्ण जीवन जी सकते हैं सब खुश रहे हम भी खुश रहें, होशियारी जरूरी है क्योंकि जीवन चलाने के लिए कुछ तो चाहिए

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