
प्रेम बांटने का नहीं है
प्रेम वो अनुभूति है जो किसी एक के लिए अनुभूति ही नहीं बल्कि ये विस्तार करने के लिए
सब लोग आपके प्रेम मे रंग जाये
ये कोई रस नहीं ये एक मर्यादा दिखाता है
मस्ती मे डूब जाने को प्रेम नहीं कहते
खो जाने को भी नहीं कहते
एकाग्रता और समर्पण को ही प्रेम कहते हैं
तुम प्रेम हो
तुम अतीत हो
तुम ना रंग हो
ना तुम रूप हो
तुम निस्वार्थ भाव का रूप हो
तुम निष्कपट हो
तुम निष्पक्ष हो
तुम ना कोई नाम हो
तुम ना काम हो
तुम प्रेम हो
तुम प्रेम हो
🌹🌹🌹
टिप्पणी करे