
उम्मीदें करते हैं तो समय कितना पीछे छूट जाता है
कभी कभी उम्मीदों में अपना आशियाना भी लूट लिया जाता है
कुछ पल का मेहमान बनाओ उम्मीदों को
इंतजार भी उसका करो जो आपकी परवाह करते हों
उनका इंतजार ठीक नही जो लापरवाह हों

उम्मीदें करते हैं तो समय कितना पीछे छूट जाता है
कभी कभी उम्मीदों में अपना आशियाना भी लूट लिया जाता है
कुछ पल का मेहमान बनाओ उम्मीदों को
इंतजार भी उसका करो जो आपकी परवाह करते हों
उनका इंतजार ठीक नही जो लापरवाह हों
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